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Sunday, 25 December 2011

Me, Myself...!

A pair of eyes stared back saying
"I know the person behind this face"
Me, confused, baffled
'Ah! yes I now remember
these eyes belong to me'
'How come they don't know me?'
'Maybe my eyes have learnt to
look disoriented and renounced
from what my heart feels..'
'Perhaps my psyche has seperated
me, me from myself.'
'Do not look at me like that
I am the same as I was always
Why don't you agree?'
'Oh! can you help me find myself
I feels strayed, squandered, adrift
Hey! you stonned cold eyes
make me see Myself
once again full of life
If life is what Life is...............??


~26/12/2011~

Friday, 25 November 2011

अजीब शाम !!


हां था ना 

उस शाम में कुछ अजीब सा 
उसकी चमक ही अलग थी 
हवा में खुश्बू कुछ नई सी थी 
आँखों में नर्मी थी 
नम थी पर खुश थी 

था ना  कुछ अजीब सा उस शाम में

जो मेरे दिल ने सुनी थी दस्तक
क्या वो तुमने दी थी ?
क्या मेरी कहानी जुडी थी 
तुम्हारी नज़रों से 
बुन रही थी कोई सपना अपना सा 

कुछ अजीब ही था उस शाम में 

चाँद कि रौशनी जैसे
उतर रही थी मन मंदिर में
सितारों कि चुंदरी 
समेट रही थी आगोश में 
कर रही थी मदहोश मुझे 

कुछ अजीब ही शाम थी 

वो महक लग रही थी 
जानी पहचानी  सी
जन्मों कि तड़प 
जैसे घुल रही थी 
नरम साँसों में 

था न कुछ अजीब उस शाम में ?? 

~२४/११/२०११~

Friday, 2 September 2011

Yaad


“Khwaab sach hon to manzil mil jaati hai.. 
yaad bhi aksar tasveer ban jaati hai..”

tasveer ban panno men simat jaati hai. 
kabhi hansti kabhi muskati jhank jati hai.

purane shabdon ki faili syahi si.
nayi yaadon mein sama jati hai

yaad to phir bhi yaad hi hoti hai.
har kone se jhankti fariyad karti hai.

kabhi yatarth ban samne aa jati hai..
phir kabhi na bhoolne ki guhaar karti hai

uss khilte mogre ki khushboo ban jati hai.. 
sawan mein prem ban yun hi baras jati hai.

pile pade pano mein khwaab ban jati hai..
beach mein dabe gulab ki khushboo fail jati hai.

kabhi aankh mein kajal ban idtlati hai. 
To kabhi ban anso nayano mein bus jati hai

tab yaad sirf tasveer kahan hoti hai .. 
har saans se jivit hoti jati hai... Hoti jaati hai..

~16/08/2011~

How far can one be.


How far can one be
near or far
are merely distance
thoughts overrides all
bridges the miles
brings instant smile.

How far can one be
up or down
does it matter?
mind has the power
to travel distances
pouring happy shower.

How far can one be
inside or out
is just a perception
eyes in the heart see 
what none can see
and feel content.

How far can one be
here or there
can travel in a wink
reaches there in a moment
mind does think
making cheeks go pink..!

~03/09/2011~


Tuesday, 16 August 2011

??



Why are you smiling
are you aware that I am chained
and caged here
can you see me locked
Do you know?
none other than me
has the key
the Key to my freedom
it seems I have lost it
lost it in the whirlpool
Whirlpool of bondings
of emotions - 
Love Hate and care
how can I find that key
when it is all so misty
surrounded by heavy fog...!

~12/08/2011~

Tuesday, 26 July 2011

सावन की सुबह


सीली सुबह 
दिल गुदगुदाए 
हवा में अजीब सी खुशबू
रोम रोम कपकपाये
सतरंगी इन्द्रधनुष
जैसे समां जाए मन में 
अपने सारे रंगों से 
भर दे दिल के कोने 
उडती चिड़िया कि चहचाहट
कानो में मिश्री सी घोले 
नन्हे पत्तों कि सरसराहट 
मधुर संगीत गुनगुनाये
सावन कि सुबह में 
कोना कोना जगमगाए 
आँखों में सपने रंगीन 
दिल के तार महकाए....!!!

~२६/०७/२०११~


Friday, 22 July 2011

Confusion

Heaven Screamed
Screeched in agony
Illuminated the scars
that pregnant cloud
ruptured its bag
only to burst open
to cry in pain
aborting the smile
scattered all around
numbing the nebula....!!


Why is it so serene
poised and content?


~23/07/2011~

Tuesday, 19 July 2011

नासमझ

अरे! ओ  नासमझ
बाँहों में जकड ले
अधरों को चूम ले
आज उसकी अहमियत
अच्छे से समझ ले
भरपूर इसमें  जी ले
मुस्करा ले
खिलखिला ले
अगला पल किसने है देखा
इसी को  आखिरी समझ
अपना ले इसको
और बिता दे सम्पुर्ण जीवन
इस एक 'पल' में ..!!

~१४/०७/२०११~

Wednesday, 13 July 2011

'Ray Of Hope'

Morning sunshine
first Ray of Hope
brings smile and peace
an assurance to shed the gloom
as dark night has passed
now, its just the warmth
of a smiling fresh sun
refreshing our souls
bathing us in the calmness
and sweet melodious chirping's
making simple karmic music 
en-lighting us completely
rejuvenating our spirits 
soaring high ..High..!!

~13/07/2011~

Friday, 8 July 2011

Sound of Silence



My 
silent dreams
provokes me to
hear the musical sounds
of Love, Peace and Serenity
Flowing like eons in the universe
combining all the natural spectacular forces into
Unique
Heavenly
Silence!

~08/07/11~

हे प्रभु ... !



हे भगवन तुम इंसान
क्यूँ बन गए
जब तक तुम भगवन थे
सर्वोच्च थे निडर थे
आज कमज़ोर और सहमे हुए हो गए

तुमसे भगवान के रूप में
मुझे अपार प्रेम था
आज इंसान हो क्या गए
प्यार हो गया है

जब तक तुम भगवन थे
मेरे मन मंदिर में ऊंचे शिखर पर थे
आज क्यूँ फिर तुमसे
बराबरी करने को जी चहाता है

हे प्रभु ! हे भगवन !
फिर से पत्थर हो जाओ
मुझे फिर तुम्हे पूजने का
सम्मान दे दो

इंसान बन ठोकर ही खाओगे
आंसूं ही गिराओगे
प्रभु बन हर मंदिर में
मंद मंद मुस्काओ ना
मुझ पर प्रेम नहीं कृपा द्रष्टि दरसाओ ना  

हे प्रभु ...
फिर भगवन बन जाओ ना
फिर भगवन बन जाओ ना ........!!

~०७/०७/११~

Wednesday, 6 July 2011

Who am I?

Can you tell me Who am I?
I remember smiling and laughing
looking at the innocent butterfly
but was it my dream or a
movie I saw?

I remember walking down the dark ally
bitten and swallowed by scorpions
crushed under their stings
Ever since, I hear sounds
they say I am alive?

inhaling oxygen and swallowing food
is it called being alive?
flesh and bones move around
but has anyone seen my soul
tell me Please, Who am I?





Monday, 30 May 2011

ख़ुशी

साफ़ नीले आकाश पर 
चमका एक बादल का टुकड़ा 
पुलक उठी मैं देख उसको 
मन कहे बरसेगा अब वो 

दूर कहीं थिरक उठे 
थरथराते मयूर कई 
कोयल भी कूक उठी 
मन ही मन मैं चहक उठी 

प्यासी धरती चमकेगी 
सोंधी खुशबू से महकेगी 
इन्द्रधनुष भी आएगा 
सोने सा सब खिल जायेगा .....

~२२/०५/२०११~ 


Thursday, 12 May 2011

समर्पित



शीतल ठंडी पुरवाई 
लेके मीठी याद है आई 
उस उमस भरी तीखी धुप में 
बारिश की फुहार सी 
मिश्री सी मीठी बोली 
पड़ी थी मेरे कानो में 
शरमा के तब सिमटी थी 
उन यादों में 
नीले आँचल में छूप के
मुस्काई थी मन ही मन में 
पुलकित हो तब खो 
गयी थी ख्वाबों में 
कोयल की सुरीली कूक पर
हर्षित हो .. कांपते अधरों से
चूम गयी थी मोगरे को 
मनमोहिनी उसकी खुशबू से 
सराबोर हो ओत प्रोत हो गयी
झूमने लगी पत्तियों की 
सरसराहट से 
प्रीत के रंग में रंग के 
हो गयी तब समर्पित मैं....!


~१२/०५/२०११~



Tuesday, 10 May 2011

उम्मीद


ज्यों ही तुमने आने का मन बनाया
मेरा मन मयूर थिरकने लगा

मेरे आकाश के टुकड़े पर
बादल ने अपना राज़ जमाया

अरमानों के पंख लगा
बांवरा मन उड़ने लगा

सूखे बंजर ह्रदय मन में
उम्मीदों का फिर फूल खिला

क्या पता इस बार
बरस ही जाए जी भर कर .....!

07/05/2011


Missing 'U'


                              
Meandering path of varied h’es
we hoped to walk hand in hand
yo’ on a bicycle
me sitting in front
lovely daffodils smiled
and winked
as we pass them thro’gh
we sat beside
an old barren well
hearing the echo of o’r
heartbeats dr’mming together
lying on the gro’nd with
the blades of grass ‘nderneath

we saw the vario’s pattern
forming by the clo’ds.
somewhere near zephr bro’ght
in the intoxicating
smell of earth freshly
sprinkled with water..
forcing to ret’rn to
d’llness witho’t yo’..

Missing 'U'

Thursday, 28 April 2011

वो ....

उसने कहा एक दिन 
लगता कहाँ काजल अच्छा 
लगती तो हैं आँखें 
काजल से प्यारी 

एक मदमाती सुबह बोला 
लगती कहाँ हो तुम सुन्दर
तुमसे जुड़ा, लगता मैं 
अपने को सुन्दर 

उस खनकती शाम वो बोला
नज़रों के सामने रहो न रहो 
बसती तुम अब 
दिलों दिमाग में मेरे 

बोला मुझसे फिर वो 
यह आत्मा थी अधूरी 
जान कर तुमको
हो गयी पूरी ....!

~२८/०४/२०११~ 

Thursday, 21 April 2011

‘मैं’ और ‘तुम’


मैंने तुम्हारी किसी बात से
कब किया था इनकार
तुमने चलो कहा
मैं चल पड़ी
तुमने उडो कहा
मैं उड़ चली
तुमने रुको कहा
मैं रुक गयी
रुक गयी थी ना मैं ?
देखा था ना तुमने?
लेकिन सच से कैसे
करते हम इनकार ?
ना तुम रुक पाए
ना मैं रुक पायी
तन रुक गए
मन नहीं रुके
सोच रुक गयी
भावना कहाँ रुकी ?
तुम अपने रास्ते चल दिए
मैं अपने रास्ते....
लेकिन सच यह है
तुम मेरे साथ आ गए
मैं तुम्हारे साथ हो ली
तब मैं ‘मैं’ कहाँ रही
मैं तुम हो गयी
तुम ‘तुम’ कहाँ रहे
तुम मैं बन गए
अब
तुम मैं हूँ, और
मैं तुम.

~२१/०४/२०१~

Wednesday, 6 April 2011

ताज़ा याद


ताज़े मोगरे कि पहली खुशबू
महका गयी आँगन मेरा
उससे जुडी मीठी बातें
याद  करा गयी आज सवेरे ...

कोयल की मधुर आवाज़
कुहुक उठी बगिया में आज
कारे कोवे की कांव कांव
लागी प्यारी जैसे साज़ ..

सतरंगी फुलवारी से सजे
जैसे दुल्हन सी बगियाँ मेरी
शर्माए मुस्काए लहलहाए
भँवरे और पवन के संग ..

प्रेम का वो मधुर एहसास
जाग गया  जीवन में आज
भर गया आँचल मेरा
खुशियों की माला सा....

~०६/०४/२०११~~

Saturday, 2 April 2011

वेदना


रोऊँ मैं याद कर  अपना भीगा आँचल
जो कभी था मेरी आँखों का तारा
इक कदम भी न बढाता
थामे बगैर हाथ मेरा
आज पथरा गयी हैं आँखें
उस चौराहे उस आँगन को निहारते
जहाँ गूंजती थी कभी
‘माँ माँ’ की मधुर आवाज़ ...

यह आँख बंद होने से पहले
साँसों कि डोर टूटने से पहले
एक बार करा जा मुझे
माँ , होने का वो मधुर एहसास ..!

~01/04/2011~

Thursday, 31 March 2011

Living Completely..!!


On a weak sunny day
together they sat in the park
finding solace in the warmth 
of the Mother Earth
dressed in all greens..

looking high up the wandering 
birds, the soft rustling of the leaves
melodious chirping from the nests
they sat with sealed emotions
and unspoken words...

they fixed their gaze ,somewhere distant
keeping the thoughts blank
form the Past, Present and Future
without looking at each other
they were fully emersed into another
living just in That Moment...!!

~12/11/10~

Vacuum




Thick white clouds on
a solitary morning
settled on the garden-bench
leaving it misty and wet
for a long long time.

vacant calmness was smeared on the trees
Purple, White, Yellow flowers
laced with the cold dew 
look crumpled under the sun.

early buds of the grass
strewn on the brown flowerbed
were crushed by
the hurried footsteps
of no significant destination...

~17/02/2011~