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Wednesday, 6 April 2011

ताज़ा याद


ताज़े मोगरे कि पहली खुशबू
महका गयी आँगन मेरा
उससे जुडी मीठी बातें
याद  करा गयी आज सवेरे ...

कोयल की मधुर आवाज़
कुहुक उठी बगिया में आज
कारे कोवे की कांव कांव
लागी प्यारी जैसे साज़ ..

सतरंगी फुलवारी से सजे
जैसे दुल्हन सी बगियाँ मेरी
शर्माए मुस्काए लहलहाए
भँवरे और पवन के संग ..

प्रेम का वो मधुर एहसास
जाग गया  जीवन में आज
भर गया आँचल मेरा
खुशियों की माला सा....

~०६/०४/२०११~~

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