लेके मीठी याद है आई
उस उमस भरी तीखी धुप में
बारिश की फुहार सी
मिश्री सी मीठी बोली
पड़ी थी मेरे कानो में
शरमा के तब सिमटी थी
उन यादों में
नीले आँचल में छूप के
मुस्काई थी मन ही मन में
पुलकित हो तब खो
गयी थी ख्वाबों में
कोयल की सुरीली कूक पर
हर्षित हो .. कांपते अधरों से
चूम गयी थी मोगरे को
मनमोहिनी उसकी खुशबू से
सराबोर हो ओत प्रोत हो गयी
झूमने लगी पत्तियों की
सरसराहट से
प्रीत के रंग में रंग के
हो गयी तब समर्पित मैं....!
~१२/०५/२०११~
~१२/०५/२०११~
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