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Tuesday, 19 July 2011

नासमझ

अरे! ओ  नासमझ
बाँहों में जकड ले
अधरों को चूम ले
आज उसकी अहमियत
अच्छे से समझ ले
भरपूर इसमें  जी ले
मुस्करा ले
खिलखिला ले
अगला पल किसने है देखा
इसी को  आखिरी समझ
अपना ले इसको
और बिता दे सम्पुर्ण जीवन
इस एक 'पल' में ..!!

~१४/०७/२०११~

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