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Friday, 8 July 2011

हे प्रभु ... !



हे भगवन तुम इंसान
क्यूँ बन गए
जब तक तुम भगवन थे
सर्वोच्च थे निडर थे
आज कमज़ोर और सहमे हुए हो गए

तुमसे भगवान के रूप में
मुझे अपार प्रेम था
आज इंसान हो क्या गए
प्यार हो गया है

जब तक तुम भगवन थे
मेरे मन मंदिर में ऊंचे शिखर पर थे
आज क्यूँ फिर तुमसे
बराबरी करने को जी चहाता है

हे प्रभु ! हे भगवन !
फिर से पत्थर हो जाओ
मुझे फिर तुम्हे पूजने का
सम्मान दे दो

इंसान बन ठोकर ही खाओगे
आंसूं ही गिराओगे
प्रभु बन हर मंदिर में
मंद मंद मुस्काओ ना
मुझ पर प्रेम नहीं कृपा द्रष्टि दरसाओ ना  

हे प्रभु ...
फिर भगवन बन जाओ ना
फिर भगवन बन जाओ ना ........!!

~०७/०७/११~

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