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Friday 23 August 2013

राखी



एक बार फिर आ गया
भाई बहन के अटूट बंधन का त्यौहार..

सजेंगी कलाइयां भाइयों की
बहन के प्रेम धागे से
नम होंगी फिर आँखें
सर पे टीका सजाते
मुंह में बर्फी खिलाते ..

जब करें आरती भाई भावज की
दिल गदगद हो जावे
उनकी खुशियों की कामना
मन में सजाये
दिल बलैयां भरपूर लेवे ..

पिता के वंश को आगे बढ़ाते
उन नन्हे कोमल फूलों
की किलकारी में 
मिश्री
घुलती सी जावे  !!

राखी के इस पावन पर्व पे
शुभकामनायें और प्रेम
स्वीकार करो मेरा भी
पुलकित हो तब मन  
हर्षोउल्लास से भर जावे !!!


~१९/०८/२०१३~

Tuesday 6 August 2013

किरण

वीरान घास के मैदान में
सूखे पत्तों पे पड़ते कुछ
सुस्त कदमों की चरमराहट

शुष्क हवाओं में
विलीन होते रेत के बवंडर से
चिपकी रूह की सरसराहट

अनसुने शब्दों के महल को
ताश के पत्तों सा
बिखरते देखने की घबराहट

ऊपर बहुत ऊपर
उस सूखे पेड़ की डाल पे
बंजर घोंसले से सुनी आहट

आह!  जिंदगी
देख तुम्हें भर आई आँखें
नयी किरण अब आई सिमट !!


~०६/०८/२०१३ ~