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Thursday 28 April 2011

वो ....

उसने कहा एक दिन 
लगता कहाँ काजल अच्छा 
लगती तो हैं आँखें 
काजल से प्यारी 

एक मदमाती सुबह बोला 
लगती कहाँ हो तुम सुन्दर
तुमसे जुड़ा, लगता मैं 
अपने को सुन्दर 

उस खनकती शाम वो बोला
नज़रों के सामने रहो न रहो 
बसती तुम अब 
दिलों दिमाग में मेरे 

बोला मुझसे फिर वो 
यह आत्मा थी अधूरी 
जान कर तुमको
हो गयी पूरी ....!

~२८/०४/२०११~ 

Thursday 21 April 2011

‘मैं’ और ‘तुम’


मैंने तुम्हारी किसी बात से
कब किया था इनकार
तुमने चलो कहा
मैं चल पड़ी
तुमने उडो कहा
मैं उड़ चली
तुमने रुको कहा
मैं रुक गयी
रुक गयी थी ना मैं ?
देखा था ना तुमने?
लेकिन सच से कैसे
करते हम इनकार ?
ना तुम रुक पाए
ना मैं रुक पायी
तन रुक गए
मन नहीं रुके
सोच रुक गयी
भावना कहाँ रुकी ?
तुम अपने रास्ते चल दिए
मैं अपने रास्ते....
लेकिन सच यह है
तुम मेरे साथ आ गए
मैं तुम्हारे साथ हो ली
तब मैं ‘मैं’ कहाँ रही
मैं तुम हो गयी
तुम ‘तुम’ कहाँ रहे
तुम मैं बन गए
अब
तुम मैं हूँ, और
मैं तुम.

~२१/०४/२०१~

Wednesday 6 April 2011

ताज़ा याद


ताज़े मोगरे कि पहली खुशबू
महका गयी आँगन मेरा
उससे जुडी मीठी बातें
याद  करा गयी आज सवेरे ...

कोयल की मधुर आवाज़
कुहुक उठी बगिया में आज
कारे कोवे की कांव कांव
लागी प्यारी जैसे साज़ ..

सतरंगी फुलवारी से सजे
जैसे दुल्हन सी बगियाँ मेरी
शर्माए मुस्काए लहलहाए
भँवरे और पवन के संग ..

प्रेम का वो मधुर एहसास
जाग गया  जीवन में आज
भर गया आँचल मेरा
खुशियों की माला सा....

~०६/०४/२०११~~

Saturday 2 April 2011

वेदना


रोऊँ मैं याद कर  अपना भीगा आँचल
जो कभी था मेरी आँखों का तारा
इक कदम भी न बढाता
थामे बगैर हाथ मेरा
आज पथरा गयी हैं आँखें
उस चौराहे उस आँगन को निहारते
जहाँ गूंजती थी कभी
‘माँ माँ’ की मधुर आवाज़ ...

यह आँख बंद होने से पहले
साँसों कि डोर टूटने से पहले
एक बार करा जा मुझे
माँ , होने का वो मधुर एहसास ..!

~01/04/2011~