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Monday, 30 May 2011

ख़ुशी

साफ़ नीले आकाश पर 
चमका एक बादल का टुकड़ा 
पुलक उठी मैं देख उसको 
मन कहे बरसेगा अब वो 

दूर कहीं थिरक उठे 
थरथराते मयूर कई 
कोयल भी कूक उठी 
मन ही मन मैं चहक उठी 

प्यासी धरती चमकेगी 
सोंधी खुशबू से महकेगी 
इन्द्रधनुष भी आएगा 
सोने सा सब खिल जायेगा .....

~२२/०५/२०११~ 


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