सीली सुबह
दिल गुदगुदाए
हवा में अजीब सी खुशबू
रोम रोम कपकपाये
सतरंगी इन्द्रधनुष
जैसे समां जाए मन में
अपने सारे रंगों से
भर दे दिल के कोने
उडती चिड़िया कि चहचाहट
कानो में मिश्री सी घोले
नन्हे पत्तों कि सरसराहट
मधुर संगीत गुनगुनाये
सावन कि सुबह में
कोना कोना जगमगाए
आँखों में सपने रंगीन
दिल के तार महकाए....!!!
~२६/०७/२०११~
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