Search This Blog

Tuesday, 26 July 2011

सावन की सुबह


सीली सुबह 
दिल गुदगुदाए 
हवा में अजीब सी खुशबू
रोम रोम कपकपाये
सतरंगी इन्द्रधनुष
जैसे समां जाए मन में 
अपने सारे रंगों से 
भर दे दिल के कोने 
उडती चिड़िया कि चहचाहट
कानो में मिश्री सी घोले 
नन्हे पत्तों कि सरसराहट 
मधुर संगीत गुनगुनाये
सावन कि सुबह में 
कोना कोना जगमगाए 
आँखों में सपने रंगीन 
दिल के तार महकाए....!!!

~२६/०७/२०११~


No comments:

Post a Comment