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Monday 31 August 2015

Victory


On the minds furrowed canvas
Scarce colours splashed
Creating enlightening patterns
Forming meaningful image
Drying the worldly palette
Emerging from within.
.
.
Light triumphs !

~10/06/2015

©Copyright Deeप्ती

Thursday 27 August 2015

राखी का त्यौहार



रेशमी धागे में बंधा देखो
आज फिर भाई का प्यार आया है
निश्छल प्रेम से भरा
बचपन का दुलार लाया है
"तेरी रक्षा में सदेव करूँगा "
वचन वो फिर याद आया है
मुंह में रखते ही घुल जाने वाले
लड्डू और बर्फी का स्वाद आया है
लाल तिलक माथे पे सजा
देखो राखी का त्यौहार आया है।

~ २७/०८/२०१५ ~


©Copyright Deeप्ती

Wednesday 12 August 2015

चढ़ा उस अटरिया पे....


चढ़ा उस अटरिया पे यूँ ही कुछ ढूंढने एक दिन 

यादों के सूखे बागों में दिखा खिला अरमानो का एक फूल 
सुगंधित  कर गया जो अंतर तक पड़ा था वहां वो मुस्काते 

चढ़ा अटरिया पे यादों के जाले उतारने एक दिन 

पीले पड़े पन्नो से टपक रहे थे कुछ अधूरे से अलफ़ाज़ 
कुछ धुँधले कुछ चमकते से सुना रहे थे गुज़री कहानी 


चढ़ा था अटरिया पे कुछ छितरे से सपने बटोरने एक दिन 

धुल से अटी कोने में पड़ी फटी पतंग की याद हो आई अधूरी दास्ताँ 
जिसे आज़ाद कर लाये थे हम तीनो दोस्त पेड़ की ऊँची डाल से 


चढ़ा था अटरिया पे रिसते जख्मो का मरहम ढूंढने एक दिन 

यादों की उन गलियों में घूमते एक धुन्दला सा चेहरा दिखाई दिया 
मंदिर की आखिरी सीडी पे खामोश बैठी उस बूढ़ी माई का सूखा आँसू बरस गया 


चढ़ा था अटरिया पे यादों के बिखरे मोती समेटने एक दिन 

आवारा दौड़ते इधर उधर गली के वो चार कुत्ते 
चौकीदार का वो पसीने में भीगा टूटा डंडा दिखाई दिया 

चढ़ा था अटरिया पे सुकून तलाशने एक दिन 


वहां जीवन का जैसे असली चेहरा दिखाई दे गया 
टूटी चप्पल और फटी पैंट में भी आज़ाद हँसी का खज़ाना मिल गया 


उतर अटरिया से जब पाँव रखा ज़मीन पे उस दिन 

यथार्थ का आइना देख माथा भनभनाया 
मीठी नींद का सपना जो चकनाचूर हो गया 


~ ११/०८/२०१५~ 



©Copyright Deeप्ती

Sunday 9 August 2015

बारिश का दर्द

Greenwoods Park 2014


लगता है किसी का दिल बहुत ज़ोर से दुखा है 
देखो आसमान आज कैसे फूट पड़ा है 

हवाओं का रुख बदल गया है 
आँखों से सैलाब बह चला है 
कोई तो सम्भालो इन मोतियों को 
अपना ही दामन कैसे भिगोये रखा है 
तपती धरती पे गिरती तेज़ाब सी बूंदे 
देखो कैसे अन्तर्मन को जलाये रखा है 

लगता है किसी का दिल बहुत ज़ोर से दुखा है 
देखो आसमान आज कैसे फूट पड़ा है 

हीरे सी चमकती ये नन्ही बूंदे 
दिल के अरमानो को काट चली हैं 
झरझर मासूम बारिश की कंपन 
कानो में जहर घोले जा रही हैं 
हृदय की बंजर ज़मीन पर 
गर्म सीसा भरे जा रहा है 

लगता है किसी का दिल बहुत ज़ोर से दुखा है 
देखो आसमान आज कैसे फूट पड़ा है। ……… !


~ ०९/०८/२०१५~ 


©Copyright Deeप्ती