Serendipity
Can full of words spills frothing from it splashing on the blank paper weaving meaningful images.
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Tuesday, 10 May 2011
उम्मीद
ज्यों ही तुमने आने का मन बनाया
मेरा मन मयूर थिरकने लगा
मेरे आकाश के टुकड़े पर
बादल ने अपना राज़ जमाया
अरमानों के पंख लगा
बांवरा मन उड़ने लगा
सूखे बंजर ह्रदय मन में
उम्मीदों का फिर फूल खिला
क्या पता इस बार
बरस ही जाए जी भर कर .....!
07/05/2011
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