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Thursday, 28 April 2011

वो ....

उसने कहा एक दिन 
लगता कहाँ काजल अच्छा 
लगती तो हैं आँखें 
काजल से प्यारी 

एक मदमाती सुबह बोला 
लगती कहाँ हो तुम सुन्दर
तुमसे जुड़ा, लगता मैं 
अपने को सुन्दर 

उस खनकती शाम वो बोला
नज़रों के सामने रहो न रहो 
बसती तुम अब 
दिलों दिमाग में मेरे 

बोला मुझसे फिर वो 
यह आत्मा थी अधूरी 
जान कर तुमको
हो गयी पूरी ....!

~२८/०४/२०११~ 

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