(Copyright all rights reserved)
Can full of words spills frothing from it splashing on the blank paper weaving meaningful images.
Monday, 29 December 2014
किनारा
New Tale
Yesterday is gone and its tale told
Remarkable mysteries are yet to unfold
Break the golden pointless chains
Feel the melody of charming rains
Let the fresh Sun shine vibrant
Submerge with the tune of chant
Touch the misty dew drops shaped
Let the Merry thoughts gets draped
Merrier beliefs are now soaring
Today new seeds are growing.
~Deeप्ती ~
~26/12/2014~
Deepti Agarwal (Copyright all rights reserved)
Monday, 8 December 2014
तुझ सी मैं
सर्दी की धुप सी गुदगुदाती
मीठे झरने सी किलकाती
हवा सी लहराती
तेरी मोहब्बत मेरी साँसों में...
पिघलते मोम सी कोमल
पुष्प की पंखुड़ी सी नाजुक
चमकते दिए की रौशनी सी
तेरी मासूमियत मेरी रग-रग में ...
मेघ की हलकी फुहार सी
चिरैया की चहचाहट सी
घुँगरू सी खनकती
तेरी मुस्कराहट मेरी आँखों में ...
हम बसते
एक दूजे में।
~०७/१२ /२०१४~
Tuesday, 2 December 2014
रूह
रूह ने न छोड़ा साथ
ओ! मेरे नाथ
वही तो है सच्चा साथ
जिस्म छोड़ा
साँस छोड़ी
मुलाक़ात छोड़ी
रूह का बंधन
न छोड़े कोई
तन तो मिट्टी है
छोड़े हर कोई साथ
चाहे फिर वो हो
अपना तन या मन
या ही हो संगी साथी
रूह ही तो है बस अपनी
संभाल लो
और सिमट जाओ
रूह में अपनी बस जाओ
~ ०३/१२/२०१४~
Friday, 21 November 2014
प्रीत का रंग
.
प्रीत के रंग में रंगी मोहना
रंग ना भावे और कोये
रंग तेरे प्रेम का चढ़ा ऐसा
मन ना भावे और कोये
.
.
हे ! केशव नन्द गोपाला
बँसी धुन में खो जावूं
जहर भी अमृत बन जावे
तुझ सी प्रीत न निभाए कोये
.
.
प्रीत का नशा ऐसा चढ़ा सोहना
नशा ना भाये और कोये
झूमूँ गाऊँ में अल्हड
प्रेम ना कोई और कर पाये
.
.
इतनी अरज सुन ले गिरिधर
तुझ में ही बह जाऊं
आँख जब भी मूंदूं
तुझ में ही समाऊँ।
~२१/११/२०१४~
Wednesday, 19 November 2014
काश के हम ज़िंदा होते
काश के हम ज़िंदा होते
नींद में तो सपने होते
सपने में ही अपने होते
खुशियों के समुन्दर होते
काश के हम ज़िंदा होते
कागज़ी फूलों में खुशबु होती
बंधन की न फुफकार होती
चन्दन से हाथ लिपटे होते
काश के हम ज़िंदा होते
सूखे आँगन में हरियाली होती
उजड़े घोंसले में चिरईया होती
मन के अँधेरे में रौशनी होती
काश के हम ज़िंदा होते
बिछड़े भी संग ही होते
लाशों के ना ढ़ेर होते
कुछ हम भी जी लेते
काश के हम ज़िंदा होते।
~ १९/११/२०१४~
Wednesday, 12 November 2014
हवा और मेँ
लो, आज फिर
थाम हवा का हाथ
बह चला उसके साथ
बहता चला बस बहता रहा।
~ १३/११/२०१४~
Thursday, 6 November 2014
उलझा गोला
Pic taken from net |
कुछ सोच, मैंने उठा लिया
पोंछ कर साफ़ करा
ढूंढ रहा अब ओर-छोर
शायद ,मिल ही जाये कोई किनारा
खींच पाता गर कोई धागा
उसके आगोश में
लेकिन अब
बेचैन हूँ
ढूँढ ढूँढ
कोई भी सुलझा किनारा
झटक हाथ से वहीँ उसे
सिहर रहा अंतर तक
ढक सफ़ेद चादर से
सिसक रहा अब तलक !
~०७/११/२०१४~
Monday, 3 November 2014
रंग 'लाल'
Picture taken from Net |
लाल रंग में रंगी मैं
अंतर भी लाल
माथा भी लाल
सपने भी हैं आज लाल
ओढ़ चुनरिया लाज की
गाल हुए हैं फिर लाल
सूरज भी है लाल आज
झपटने को है कोई ‘बाज़’
क्यूँ हो रही मैं बेहाल
क्या दिख रहा है मुझे काल?
अरमानों ने भी पंख लाल लगाये
पूरब की ओर संदेशे भिजवाए
लाल
मांग सजा कर
भिखरे केश सँवार कर
खुद को फिर समेट के
बनाव श्रृंगार कर के
साँसों को संभल कर
उम्मीदों को लगाये पर
लाली इस लाल की
क्या मैंने आज संभाल ली
सितारों जड़ित निंदिया
आँखों में सजा ली
उस रुके पल में
क्या दुनिया अपनी बसा ली
लाल स्याही से ही तो
लिखा था मौत का फरमान
आँखों में भी उतारा था
सुर्ख लाल पैगाम
कर गया था कोमल मन को
जो मेरे लहू-लुहान
रंग लाल से रंगी में
कभी रोती कभी हँसती
दीपक की उस रौशनी में
अकेली गूंजती – पुकारती
और सिसकती मैं!
~०३/११/२०१४~
Thursday, 30 October 2014
Experience
OctPoWriMo 2014 Day 31 |
From the moment
Words found meaning
Journey of Life began
Smooth silken verse
Moved like a calm river
Watering the thoughts
Nurturing the emotions
Dissolving the impurities
Meditating under Banyan
Finding ‘Nirvana’
Bestowing cognizance
To merge into the ocean
Of Consciousness
Finding Ultimate Bliss !
~31/10/2014~
Life Goes On....
"Hudhud Cyclone" Picture taken from net |
On the day before that tearful Tuesday
Their world was full of merry moments
Who knew their present smile
Will vanish like a dust filled pile
Happy songs flowing around
Vandalized by raging storm
Dog house made with such care
Smashed, now nothing to spare
Baby sparrow just learnt to fly
Nothing remained to comply
The day has gone leaving behind
Muddy land and hollow hand
Who knew the extra stuffed food
Will be scarce and make stomach rude
Yesterday’s lullabies evaporated
Sorrowful songs exasperated
Once sparkling shinny house
Looks haunted full of mouse
Sun rises again with all its glory
Life goes on and has nothing to carry.
~30/10/2014~
#OctPoWriMo 2014 Day 30 Prompt "On the day before" Recently India witnessed the 'Hudhud Cyclone'
Tuesday, 28 October 2014
YOU & ME
Day 29 OctPoWriMo 2014
Santos , Brazil 2013 |
You and me holding Hand in hand
Looking intently at each other
Remembering our first embrace
Melting in that moment
Flowing freely with the Zephyr
Silken tresses lock with your curls
Smoldering touch awakens
The Burning longing
Swaying in the rain
Kisses dissolved like sugar
Euphoric sensations surfaced
Love bonds forever.
~29/10/2014~
Determination
He had a strange hunger in his eyes
We could feel it
His eager eyes wanted to guzzle
Each and every detail
Observing with complete concentration
Trying to swallow
Before his desire consumes him
His wheels creaked
To clasp the object
As if suddenly he got wings
So what if he no longer has legs
To stand firm
He has his willpower alive
To motivate him always.
~28/10/2014~
Monday, 27 October 2014
Dance
Day 24 OctPoWriMo 2014
Picture Taken from Net |
Flame of a candle
Dance in harmony with
Fire and passion.
~24/10/2014~
Sanity
Day 27 - OctPoWriMo 2014
Sao Paulo, Brazil Morning 2013 |
Let me wake from my sleep
And enter into realism
Where flowers are not on birds
But on trees blooming
Where trees are not red
But green and brown
Where earth is not smiling
But crying immersed in red
Where rainbow is not in sky
But in vision of young
Let me wake from my wakefulness
And accept the veracity.
~27/10/2014~
Tuesday, 21 October 2014
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