रूह ने न छोड़ा साथ
ओ! मेरे नाथ
वही तो है सच्चा साथ
जिस्म छोड़ा
साँस छोड़ी
मुलाक़ात छोड़ी
रूह का बंधन
न छोड़े कोई
तन तो मिट्टी है
छोड़े हर कोई साथ
चाहे फिर वो हो
अपना तन या मन
या ही हो संगी साथी
रूह ही तो है बस अपनी
संभाल लो
और सिमट जाओ
रूह में अपनी बस जाओ
~ ०३/१२/२०१४~
:)
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