तिनके का सहारा होता है बहुत
किसी डूबते को पहुँचाने किनारा
लहरों के थपेड़ों से भी उबर आती है
हिचकोले खाती डगमगाती नइया
घुप्प अंधेरों में छोड़ जाते हैं
साये भी साथ तन का
अकेले अपने कदम बढ़ाते
सभी ढूँढ़ते अपना किनारा
~Deeप्ती ~
~30/12/2014~
(Copyright all rights reserved)
No comments:
Post a Comment