काश के हम ज़िंदा होते
नींद में तो सपने होते
सपने में ही अपने होते
खुशियों के समुन्दर होते
काश के हम ज़िंदा होते
कागज़ी फूलों में खुशबु होती
बंधन की न फुफकार होती
चन्दन से हाथ लिपटे होते
काश के हम ज़िंदा होते
सूखे आँगन में हरियाली होती
उजड़े घोंसले में चिरईया होती
मन के अँधेरे में रौशनी होती
काश के हम ज़िंदा होते
बिछड़े भी संग ही होते
लाशों के ना ढ़ेर होते
कुछ हम भी जी लेते
काश के हम ज़िंदा होते।
~ १९/११/२०१४~
and all this is there in this world ! so be alive :)
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