Pic taken from net |
कुछ सोच, मैंने उठा लिया
पोंछ कर साफ़ करा
ढूंढ रहा अब ओर-छोर
शायद ,मिल ही जाये कोई किनारा
खींच पाता गर कोई धागा
उसके आगोश में
लेकिन अब
बेचैन हूँ
ढूँढ ढूँढ
कोई भी सुलझा किनारा
झटक हाथ से वहीँ उसे
सिहर रहा अंतर तक
ढक सफ़ेद चादर से
सिसक रहा अब तलक !
~०७/११/२०१४~
lagta hai Gurgaon ki hawa mein hi kuch hai aajkal. :(
ReplyDeletekya pata kya hai kya nahin.. lekin abhi padhi uss book ka asar bahut hai abhi tak :p
Delete