नज़रें जब मिलीं उनसे
दिल ख्वाब कुछ यूँ बुनने लगा
पंख पसार दूर तारों की छाओं में
न जाने कितना घूम आया
.. नज़रें जो मिली उनसे
दिल , तरल हो हाथ से फिसलने लगा ..
शीतल नदिया की धार सा
झर झर कुछ यूँ बहने लगा
बिन पतवार की नैया सा
उन्माद में खोने लगा
.. नज़रें जो मिली उनसे
दिल मस्त हो यूँ झूमने लगा ..
नन्ही चिरैया को मिले
हो नए पंख जैसे
बेखौफ आसमान की ऊंचाइयों
को छूने को मचलने लगा
.. नज़रें जो मिली उनसे
नादान ये दिल थिरकने लगा .,,
~०७/०४/२०१५~
Deeप्ती (Copyright all rights reserved)
दिल ख्वाब कुछ यूँ बुनने लगा
पंख पसार दूर तारों की छाओं में
न जाने कितना घूम आया
.. नज़रें जो मिली उनसे
दिल , तरल हो हाथ से फिसलने लगा ..
शीतल नदिया की धार सा
झर झर कुछ यूँ बहने लगा
बिन पतवार की नैया सा
उन्माद में खोने लगा
.. नज़रें जो मिली उनसे
दिल मस्त हो यूँ झूमने लगा ..
नन्ही चिरैया को मिले
हो नए पंख जैसे
बेखौफ आसमान की ऊंचाइयों
को छूने को मचलने लगा
.. नज़रें जो मिली उनसे
नादान ये दिल थिरकने लगा .,,
~०७/०४/२०१५~
Deeप्ती (Copyright all rights reserved)
oho! dil to pagal hai ;)
ReplyDeletehmm so to hai... 19th meeting anniversary gift :)
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