न जाने क्यूँ
आज फिर अतीत के झुरमुट से
कुछ अधपकी सी यादें
आँखों के रास्ते उत्तर आई हैं
शायद तेज़ हवा ने अतीत के पन्ने उड़ाए हैं
अभी कुछ देर पहले तो
सब साफ खिला खिला सा था
अभी अचानक क्यूँ
धुंधला सा गया है
शायद कारण आँखों में उतरी नमी है
वो निष्छल प्रेम बहाते नयन
उन थपेड़ों से झूझते कदमो
को होले से थाम लेना
आज क्यूँ खो सा गया है
शायद वक़्त अब वो रहा ही नहीं है
हर अल्हड मांग को
हँस कर पूरा कर देना
ज़माने के तीखे वारों से
ख़ामोशी से बचा लेना
शायद अब सिर्फ तस्वीर और उसपर टंगा हार ही हक़ीक़त है।
~३०/०४/२०१५~
Deeप्ती (Copyright all rights reserved)
आज फिर अतीत के झुरमुट से
कुछ अधपकी सी यादें
आँखों के रास्ते उत्तर आई हैं
शायद तेज़ हवा ने अतीत के पन्ने उड़ाए हैं
अभी कुछ देर पहले तो
सब साफ खिला खिला सा था
अभी अचानक क्यूँ
धुंधला सा गया है
शायद कारण आँखों में उतरी नमी है
वो निष्छल प्रेम बहाते नयन
उन थपेड़ों से झूझते कदमो
को होले से थाम लेना
आज क्यूँ खो सा गया है
शायद वक़्त अब वो रहा ही नहीं है
हर अल्हड मांग को
हँस कर पूरा कर देना
ज़माने के तीखे वारों से
ख़ामोशी से बचा लेना
शायद अब सिर्फ तस्वीर और उसपर टंगा हार ही हक़ीक़त है।
~३०/०४/२०१५~
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