सुरमई अँखियों ने
अरमानों के पंख लगा
कल्पना की ऊंची उड़ान ली है
सतरंगी इन्द्रधनुष पे झूलती
बादलों को चूमती है
धुंद में मुस्कराती सुर्ख
गुलाब की पंखुड़ी हँसी है
रेशमी बादलों पे हो सवार
घरोंदे की ख्वाइश की है
सर्द हवा में ठिठुरती सी
ठंडी आह भरी है
पत्तियों पे फिसलती ओस
मोती सी चमकी है
गुलाबी होठों पे लहराती हँसी
कोयल सी कुहुकी है
कल्पना की उड़ान में उड़ती
मीठे सपने नयनो में सजाती
खुद अपनी ही बाँहों में सिमटी है
~ ०८/०१/२०१६~
©Copyright Deeप्ती
No comments:
Post a Comment