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Tuesday, 3 February 2015

दुआ

गुडगाँव २०१४ 

पलकें उठा के जो देखा 
सूरज ने चेहरा छुपाया 
ओढ़ बादल का आँचल 
लाज से वो शरमाया 
होठों पे जो बिखेरी मुस्कान 
फूलों ने पंखुड़ी खोली 
भवरों ने की अठखेलीयां 
बाग़ फिर खिलखिलाया  
ज़मीन पे जब रखा कदम 
हरियाली सकुचाती सी लहराई 
गिलहरियां भी मुस्काई 
तितलियाँ अलमस्त हो फरफराई 
हाथ का कंगन जब खनका 
चिड़ियाँ भूल चहचहाना 
हो गई शांत 
जा छिपी टहनियों में 
मुखड़ा दमकता देख 
चाँद को भी हुआ रश्क़ 
सितारों को भेज ज़मीन पे 
चमकाया उसका आँचल 
ऐ ख़ुदा ! रेहमत कर 
ज़माने की सारी खुशियां 
उसके दामन में भर 
उसका जीवन उज्जवल कर।  

~ २९/०१/२०१५ ~ 


Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)

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