गुडगाँव २०१४ |
पलकें उठा के जो देखा
सूरज ने चेहरा छुपाया
ओढ़ बादल का आँचल
लाज से वो शरमाया
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ज़मीन पे जब रखा कदम
हरियाली सकुचाती सी लहराई
गिलहरियां भी मुस्काई
तितलियाँ अलमस्त हो फरफराई
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हाथ का कंगन जब खनका
चिड़ियाँ भूल चहचहाना
हो गई शांत
जा छिपी टहनियों में
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मुखड़ा दमकता देख
चाँद को भी हुआ रश्क़
सितारों को भेज ज़मीन पे
चमकाया उसका आँचल
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ऐ ख़ुदा ! रेहमत कर
ज़माने की सारी खुशियां
उसके दामन में भर
उसका जीवन उज्जवल कर।
~ २९/०१/२०१५ ~
Deeप्ती (Copyright all rights reserved)
Arre waah. :)
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