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Wednesday, 18 February 2015

यकीन

खूबसूरत कुदरत

किसी ने न देखा 
खुदा को 
जब भी आईना में 
देखा खुद को 
उस पे यकीन हुआ 

किसी ने न सुना 
पंखुड़ी को खिलते 
जब भी फूल को 
देखा लहराते 
महसूस करा उस आवाज़ को 

कभी न समझा 
करिश्मा को 
जब भी सूरज उगते देखा 
रात को नकारा 
करा विश्वास ज़िन्दगी में 

कभी न देखा 
हवा को बहते 
जब भी होंठो पे तेरे 
बिखरी मुस्कराहट 
मुहब्बत समेटी आगोश में 

~ १९/०२/२०१५~ 


Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)

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