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Friday, 27 February 2015

सुकून

झिलमिल चमकती चांदनी और 
उसके आगोश में सिमटता अँधियारा 

खूबसूरती बढ़ाता गर्व से इतराता 
मंद-मंद मुस्कराता 

चाँद ने भी शरमा के खोला अपना राज़ 
मेहफ़ूज़ हो छेड़ा सुरीला साज़ 

चाँद चाँदनी और अंधियारे की देख अजब दोस्ती 
संसार ने उन्हें अपना हमराज़ बनाया 

"उनके होने  के एहसास में मिलता है दिल को सुकून 
उनके ना होने का ख़याल भी दिल में न बसाना "

~२६/०२/२०१५~ 
Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)

Thursday, 26 February 2015

शुभकामनाएं

ज़िन्दगी के कोने कोने में छिपी अनेक मासूम खुशियां 
ढूंड़ -ढूंड कर जीवन की माला में है पिरोना 

खुशियों के दामन में भरी हैं चंचल मुस्कराहट 
उन्हें अधरों पे उतार दिल में है बसाना 

मुस्कराहट के सीने में धड़कती है ज़िन्दगी 
मधुर गूँज में उसकी जीवन है बिताना। 

~२६/०२/२०१५~ 


Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)

Tuesday, 24 February 2015

Coffee Shop

Image from Net


Sitting in a Coffee Shop
Looking no where 
Immersed in hot sips
And cool thoughts
Wondering about moments
Some happy some sad

Listening to the sounds
Of Footsteps moving around
Creating some kind of strange
Melodious chant
Some rushing some dragging
Some jumping some pleased

Watching the swirls of ice
Clinking in the cup
On the other table
Merging with my cup vapors
Trying to blend-in
Some are wavy some cheery

~24/02/2015~


Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)


Wednesday, 18 February 2015

यकीन

खूबसूरत कुदरत

किसी ने न देखा 
खुदा को 
जब भी आईना में 
देखा खुद को 
उस पे यकीन हुआ 

किसी ने न सुना 
पंखुड़ी को खिलते 
जब भी फूल को 
देखा लहराते 
महसूस करा उस आवाज़ को 

कभी न समझा 
करिश्मा को 
जब भी सूरज उगते देखा 
रात को नकारा 
करा विश्वास ज़िन्दगी में 

कभी न देखा 
हवा को बहते 
जब भी होंठो पे तेरे 
बिखरी मुस्कराहट 
मुहब्बत समेटी आगोश में 

~ १९/०२/२०१५~ 


Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)

Tuesday, 17 February 2015

The Mighty Guard

Greenwoods Feb 2015



Guarding the universe
The Mighty Lord
Observant and Poised
With all Galore

Basking in the Sunshine
Greeting fresh fragrance
Serene and Poignant
Within and out !!


~17/02/2015~ 


Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)

Tuesday, 3 February 2015

दुआ

गुडगाँव २०१४ 

पलकें उठा के जो देखा 
सूरज ने चेहरा छुपाया 
ओढ़ बादल का आँचल 
लाज से वो शरमाया 
होठों पे जो बिखेरी मुस्कान 
फूलों ने पंखुड़ी खोली 
भवरों ने की अठखेलीयां 
बाग़ फिर खिलखिलाया  
ज़मीन पे जब रखा कदम 
हरियाली सकुचाती सी लहराई 
गिलहरियां भी मुस्काई 
तितलियाँ अलमस्त हो फरफराई 
हाथ का कंगन जब खनका 
चिड़ियाँ भूल चहचहाना 
हो गई शांत 
जा छिपी टहनियों में 
मुखड़ा दमकता देख 
चाँद को भी हुआ रश्क़ 
सितारों को भेज ज़मीन पे 
चमकाया उसका आँचल 
ऐ ख़ुदा ! रेहमत कर 
ज़माने की सारी खुशियां 
उसके दामन में भर 
उसका जीवन उज्जवल कर।  

~ २९/०१/२०१५ ~ 


Deeप्ती  (Copyright all rights reserved)