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Monday, 30 May 2011

ख़ुशी

साफ़ नीले आकाश पर 
चमका एक बादल का टुकड़ा 
पुलक उठी मैं देख उसको 
मन कहे बरसेगा अब वो 

दूर कहीं थिरक उठे 
थरथराते मयूर कई 
कोयल भी कूक उठी 
मन ही मन मैं चहक उठी 

प्यासी धरती चमकेगी 
सोंधी खुशबू से महकेगी 
इन्द्रधनुष भी आएगा 
सोने सा सब खिल जायेगा .....

~२२/०५/२०११~ 


Thursday, 12 May 2011

समर्पित



शीतल ठंडी पुरवाई 
लेके मीठी याद है आई 
उस उमस भरी तीखी धुप में 
बारिश की फुहार सी 
मिश्री सी मीठी बोली 
पड़ी थी मेरे कानो में 
शरमा के तब सिमटी थी 
उन यादों में 
नीले आँचल में छूप के
मुस्काई थी मन ही मन में 
पुलकित हो तब खो 
गयी थी ख्वाबों में 
कोयल की सुरीली कूक पर
हर्षित हो .. कांपते अधरों से
चूम गयी थी मोगरे को 
मनमोहिनी उसकी खुशबू से 
सराबोर हो ओत प्रोत हो गयी
झूमने लगी पत्तियों की 
सरसराहट से 
प्रीत के रंग में रंग के 
हो गयी तब समर्पित मैं....!


~१२/०५/२०११~



Tuesday, 10 May 2011

उम्मीद


ज्यों ही तुमने आने का मन बनाया
मेरा मन मयूर थिरकने लगा

मेरे आकाश के टुकड़े पर
बादल ने अपना राज़ जमाया

अरमानों के पंख लगा
बांवरा मन उड़ने लगा

सूखे बंजर ह्रदय मन में
उम्मीदों का फिर फूल खिला

क्या पता इस बार
बरस ही जाए जी भर कर .....!

07/05/2011


Missing 'U'


                              
Meandering path of varied h’es
we hoped to walk hand in hand
yo’ on a bicycle
me sitting in front
lovely daffodils smiled
and winked
as we pass them thro’gh
we sat beside
an old barren well
hearing the echo of o’r
heartbeats dr’mming together
lying on the gro’nd with
the blades of grass ‘nderneath

we saw the vario’s pattern
forming by the clo’ds.
somewhere near zephr bro’ght
in the intoxicating
smell of earth freshly
sprinkled with water..
forcing to ret’rn to
d’llness witho’t yo’..

Missing 'U'