साफ़ नीले आकाश पर
चमका एक बादल का टुकड़ा
पुलक उठी मैं देख उसको
मन कहे बरसेगा अब वो
दूर कहीं थिरक उठे
थरथराते मयूर कई
कोयल भी कूक उठी
मन ही मन मैं चहक उठी
प्यासी धरती चमकेगी
सोंधी खुशबू से महकेगी
इन्द्रधनुष भी आएगा
सोने सा सब खिल जायेगा .....
~२२/०५/२०११~