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Sunday 9 August 2015

बारिश का दर्द

Greenwoods Park 2014


लगता है किसी का दिल बहुत ज़ोर से दुखा है 
देखो आसमान आज कैसे फूट पड़ा है 

हवाओं का रुख बदल गया है 
आँखों से सैलाब बह चला है 
कोई तो सम्भालो इन मोतियों को 
अपना ही दामन कैसे भिगोये रखा है 
तपती धरती पे गिरती तेज़ाब सी बूंदे 
देखो कैसे अन्तर्मन को जलाये रखा है 

लगता है किसी का दिल बहुत ज़ोर से दुखा है 
देखो आसमान आज कैसे फूट पड़ा है 

हीरे सी चमकती ये नन्ही बूंदे 
दिल के अरमानो को काट चली हैं 
झरझर मासूम बारिश की कंपन 
कानो में जहर घोले जा रही हैं 
हृदय की बंजर ज़मीन पर 
गर्म सीसा भरे जा रहा है 

लगता है किसी का दिल बहुत ज़ोर से दुखा है 
देखो आसमान आज कैसे फूट पड़ा है। ……… !


~ ०९/०८/२०१५~ 


©Copyright Deeप्ती

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