गुडगाँव की रात २०१४ |
गोधुली से बदला मिजाज़ मौसम का
लगता बस अब रो ही देगा रब मेरा
थकी चिरैयाँ लौटी अपने घर
गिलहरियों ने भी छोड़ी अठखेलियाँ
मूँद अपनी आँखों को
फूलों ने करा अलविदा दिन को
पल्लू में झुका के आँखें
करे इंतज़ार चांदनी का
कौन जाने ये घनघोर अँधेरी रात
किसे बनाएगी अपना शिकार
सूनी आँखें सूज गयीं
करे प्रिय का इंतज़ार
~ १५/०१/२०१५ ~