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Monday, 29 December 2014

किनारा


तिनके का सहारा होता है बहुत 
किसी डूबते को पहुँचाने किनारा 

लहरों के थपेड़ों से भी उबर आती है 
हिचकोले खाती डगमगाती नइया 

घुप्प अंधेरों में छोड़ जाते हैं 
साये भी साथ तन का  

अकेले अपने कदम बढ़ाते 
सभी ढूँढ़ते अपना किनारा 

~Deeप्ती ~
~30/12/2014~
(Copyright all rights reserved)


New Tale


Yesterday is gone and its tale told
Remarkable mysteries are yet to unfold
Break the golden pointless chains
Feel the melody of charming rains
Let the fresh Sun shine vibrant
Submerge with the tune of chant
Touch the misty dew drops shaped
Let the Merry thoughts gets draped
Merrier beliefs are now soaring
Today new seeds are growing.

~Deeप्ती ~ 
~26/12/2014~

Deepti Agarwal (Copyright all rights reserved)

Monday, 8 December 2014

तुझ सी मैं


'U n Me'
Center Copied from National Award winning picture


चन्दन सी यूँ लिपटी हुई 
मोगरे सी महकती 
ओस सी चमकती 

तेरी मौजूदगी मेरी ज़िन्दगी में ...

सर्दी की धुप सी गुदगुदाती 
मीठे झरने सी किलकाती 
हवा सी लहराती 

तेरी मोहब्बत मेरी साँसों में...

पिघलते मोम सी कोमल 
पुष्प की पंखुड़ी सी नाजुक 
चमकते दिए की रौशनी सी 

तेरी मासूमियत मेरी रग-रग में ...

मेघ की हलकी फुहार सी 
चिरैया की चहचाहट सी 
घुँगरू सी खनकती  

तेरी मुस्कराहट मेरी आँखों में ... 

तुझ सी में 
कुछ 
मुझ सा तू 
हम बसते 
एक दूजे में।  

~०७/१२ /२०१४~ 

Tuesday, 2 December 2014

रूह

रूह ने न छोड़ा साथ 
ओ! मेरे नाथ 
वही तो है सच्चा साथ 

जिस्म छोड़ा 
साँस छोड़ी 
मुलाक़ात छोड़ी 
रूह का बंधन 
न छोड़े कोई 

तन तो मिट्टी है 
 मन एक भ्रम 
ख्वाब कहाँ हक़ीक़त है 
आत्मा तो अमर है 

छोड़े हर कोई साथ 
चाहे फिर वो हो 
अपना तन या मन 
या ही हो संगी साथी 
रूह ही तो है बस अपनी 

संभाल लो 
और सिमट जाओ 
रूह में अपनी बस जाओ 

~ ०३/१२/२०१४~