Can full of words spills frothing from it splashing on the blank paper weaving meaningful images.
Wednesday, 27 July 2016
Tuesday, 26 July 2016
बारिश और इंतज़ार
बंद दरवाज़ों पे देती दस्तक
ये बारिश की मद्धम बूंदे
करे इंतज़ार एक आहट का
चुपके से आ घेरे
अरमानो के बक्से
घनघोर घटाओ में
बिन लफ्ज़ो के बोले
ये मासूम मोती बहुत कुछ
नयनो से अधरों तक
ये बारिश की मद्धम बूंदे
करे इंतज़ार एक आहट का
देती दस्तक दिल के दरवाज़े पे
©Copyright Deeप्ती
ये बारिश की मद्धम बूंदे
करे इंतज़ार एक आहट का
चुपके से आ घेरे
अरमानो के बक्से
घनघोर घटाओ में
बिन लफ्ज़ो के बोले
ये मासूम मोती बहुत कुछ
नयनो से अधरों तक
ये बारिश की मद्धम बूंदे
करे इंतज़ार एक आहट का
देती दस्तक दिल के दरवाज़े पे
©Copyright Deeप्ती
Monday, 25 July 2016
Friday, 22 July 2016
हमदम मेरे
एहसास तेरा बन के बूँद ठहरा
मेरी आँखों के मंज़र में
दर्द मेरा बन के आँसू तेरा
बरसा बिन मौसम बारिश जैसे
प्यार तेरा मन में बसा
भीगा गया तन मन मेरा
हमदम मेरे ,नयनो में तेरे
सपने मेरे ,तैरते हैं
बाँहों में तेरी , जन्नत मेरी
ज़िन्दगी जीती है
हर साँस में मेरी
तेरी मौजुदगी है
~ ०७/०४/२०१६~
©Copyright Deeप्ती
मेरी आँखों के मंज़र में
दर्द मेरा बन के आँसू तेरा
बरसा बिन मौसम बारिश जैसे
प्यार तेरा मन में बसा
भीगा गया तन मन मेरा
हमदम मेरे ,नयनो में तेरे
सपने मेरे ,तैरते हैं
बाँहों में तेरी , जन्नत मेरी
ज़िन्दगी जीती है
हर साँस में मेरी
तेरी मौजुदगी है
~ ०७/०४/२०१६~
©Copyright Deeप्ती
Monday, 18 July 2016
काश
काश होता मेरे पास
एक मजबूत काँधा ऐसा....
जिस पर रख कर सर
कर लेती हर गम हल्का
जिसकी बाहों में पाती
ज़माने भर की खुशियां
गहरी रात में जब डर जाती
पापा पापा कह लिपट जाती
जिसकी गोद में रख कर सर
मीठी लोरी सुनती जाती
काश होता मेरे पास
एक मजबूत काँधा ऐसा....
जिस पर
हर सुबह
टंगता,
मेरा बैग
जिसके पीछे चलती अल्हड़ सी मस्त
जिसकी ऊँगली पकड़ पहुँचती
स्कूल , गर्व से सीना तान के
जिसके होने भर से कभी ना पाती
माँ की आँखों में बहता समुन्दर
जिसकी बाहों में पाती
प्यार में अपने लिए
काश होता मेरे पास
एक मजबूत काँधा ऐसा....
आगे बढ़ने से जब डरती
कहता "डर मत। . में हूँ न"
तब गिरने का ना होता डर
थाम जो लेता हर मोड़ पर
जिसकी आँखे बुनती सपने
मेरे उज्जवल भविष्य के
जिसकी नसीहतें देती सीख
ज़माने से लड़ने की
काश होता मेरे पास
एक मजबूत काँधा ऐसा....
जो करता माफ़ हर गलती मेरी
फिर देता इक मीठी सी झिड़की
मेरी उपलब्धियों पर
प्रेम से भर देता मेरी झोली
जब पिया के घर में जाती
दुआ से भर देता मेरी झोली
हर जीत पे मेरी
होता सीना चौड़ा जिसका
Monday, 11 July 2016
काश तुम लौट आते
सुरीले वे अलफ़ाज़ कोई गीत न रच पाय
पन्नो पे भिखरी स्याही धूमिल सी हो गई
आँधियों ने ना जाने कितने बसेरे उजाड़े
लहरों के कितने थपेड़े चट्टानों ने सहे
सब खामोश चीत्कार करते रहे
बेजान सूखी सी लहरों से
काश तुम लौट के आ पाते
जहाँ से कभी कोई सन्देश ना आते
खामोश गलियारों में ना जाने
कहाँ गुम हो गए
एक झलक को भी हम तरसे जाते
काश तुम वहां से लौट के आ पाते
~ १२/०७/२०१६ ~
©Copyright Deeप्ती
Friday, 8 July 2016
Thursday, 7 July 2016
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