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Monday, 2 May 2016

यादों का खज़ाना

http://i.ebayimg.com/00/s/Mzc1WDUwMA==/z/jLEAAOxyVLNS-rbE/$_3.JPG?set_id=2


बरसों से बंद पड़ी अलमारी में 
दिखाई दिया यादों का खज़ाना 
निकाला वहां से उसे बड़े प्यार से 
धुल से अटा जालों में जकड़ा हुआ 
झाड़ पोंछ कर निखारा उसका रूप 
झाँक उसमे देखा अतीत का आईना 
बेजान पड़े उन गलियारों में 
रखा बेबसी का फिर एक कदम 
धूंढले हुए चेहरों को लगा टटोलने 
क्या कहीं कुछ याद बाकी है ?
कोई तो चेहरा होगा पहचाना सा 
कितनी आँखे उन तस्वीरों की 
अर्सा हुआ बुझ चुकी 
कितनी तक़दीरें अपना चेहरा बदल चुकीं 
वो बेरंग सी धुंधली तस्वीरें 
ना जाने कितने आँसू समेट चुकीं 
सूखे पड़े पत्तों सी वो दास्ताँ 
न जाने कहाँ अपना वजूद खो चलीं 
सोचा आज उनमे कुछ रंग भर दूँ 
यादों के झुरमुट को समेट 
फिर इंद्रधनुष सा चमका दूँ 

~ ०२/०५/२०१६~ 



©Copyright Deeप्ती

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