माँ! बाबा! देखो मैं आ गया
आँखे खोलो और ह्रदय में बसा लो
तुम्हारी आँखों का तारा
राज दुलारा जन्मों से बिछड़ा
तुम्हारा अपना आ गया
सपना जो सजाया था तुमने
अपनी छोटी सी दुनिया का
उसका एक नन्हा छूटा हुआ कोना
जोड़ने आ गया
शब्दों का ताना बाना
उखेरा था जो पन्नो में
उन भिखरे शब्दों को जोड़
तराना बनाने आ गया
साँझ के बढ़ते अँधियारे
में दीप की रौशनी से
बोझिल होती आँखों
में नयी रौशनी जलाने आ गया
माँ! बाबा! देखो ना में आ गया!
©Copyright Deeप्ती
आँखे खोलो और ह्रदय में बसा लो
तुम्हारी आँखों का तारा
राज दुलारा जन्मों से बिछड़ा
तुम्हारा अपना आ गया
सपना जो सजाया था तुमने
अपनी छोटी सी दुनिया का
उसका एक नन्हा छूटा हुआ कोना
जोड़ने आ गया
शब्दों का ताना बाना
उखेरा था जो पन्नो में
उन भिखरे शब्दों को जोड़
तराना बनाने आ गया
साँझ के बढ़ते अँधियारे
में दीप की रौशनी से
बोझिल होती आँखों
में नयी रौशनी जलाने आ गया
माँ! बाबा! देखो ना में आ गया!
©Copyright Deeप्ती
No comments:
Post a Comment