एक बार फिर आ गया
भाई बहन के अटूट बंधन का त्यौहार..
सजेंगी कलाइयां भाइयों की
बहन के प्रेम धागे से
नम होंगी फिर आँखें
सर पे टीका सजाते
मुंह में बर्फी खिलाते ..
जब करें आरती भाई भावज की
दिल गदगद हो जावे
उनकी खुशियों की कामना
मन में सजाये
दिल बलैयां भरपूर लेवे ..
पिता के वंश को आगे बढ़ाते
उन नन्हे कोमल फूलों
की किलकारी में
मिश्री
घुलती सी जावे !!
राखी के इस पावन पर्व पे
शुभकामनायें और प्रेम
स्वीकार करो मेरा भी
पुलकित हो तब मन
हर्षोउल्लास से भर जावे !!!
~१९/०८/२०१३~