सुनो...
“हम्म............”
क्या जानती हो
इस आदमखोर जंगल के परे
एक शीतल झरना बहता है...
“हाँ...
पता है मुझे .....”
कैसे पता है
कभी गयी हो उस ओर
जो कहती हो पता है ??
“नहीं..
लेकिन जाना चहाती हूँ..”
सोच लो
जंगल पार करना पड़ेगा
रास्ता कठिन है...
“अच्छा...
साथ हो तुम तो क्या चिंता ..”
मुझपर
इतना विश्वास कैसे करती हो
घबराहट नहीं होती..
“नहीं..
प्रेम करती हूँ तुमसे...”
~~१२/०४/२०१३~~
:)trust keeps it going!
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