हवा में लहराता तेरा वो रेशमी दुपटटा
अनजाने ही छू गया था मेरा चेहरा
महक उठा मेरा अंतर्मन
दौड़ पड़ी गुदगुदाती सी सिरहन
घुमड़ आये बादल जम के बरसे
सर से पैर तक भिगोए रखें
प्रेम की मासूम बूँदों से
सरसराती नीम की डाली
झूला रही थी उन घरोंदों को
नन्हे पंछी सो गए सुन के तेरी लोरी
लहराते झूमते नाचते पेड़ मन मयूर को रिझा रहे थे
उस दिन जब देखा था तुझको खिड़की से झांकते हुए
सुरमई आँखों में सतरंगी इंद्रधनुष चमके थे
अधरों पे बिखेरे मासूम मुस्कान
~ ०१/०६/२०१६ ~
©Copyright Deeप्ती
अनजाने ही छू गया था मेरा चेहरा
महक उठा मेरा अंतर्मन
दौड़ पड़ी गुदगुदाती सी सिरहन
घुमड़ आये बादल जम के बरसे
सर से पैर तक भिगोए रखें
प्रेम की मासूम बूँदों से
सरसराती नीम की डाली
झूला रही थी उन घरोंदों को
नन्हे पंछी सो गए सुन के तेरी लोरी
लहराते झूमते नाचते पेड़ मन मयूर को रिझा रहे थे
उस दिन जब देखा था तुझको खिड़की से झांकते हुए
सुरमई आँखों में सतरंगी इंद्रधनुष चमके थे
अधरों पे बिखेरे मासूम मुस्कान
~ ०१/०६/२०१६ ~
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