यमुना के तट पे
छेड़े बाँसुरिया की तान
नाचें गोपी धिनक धिन धा
कृष्ण गोपाला संग
मधुर रस का करे पान
खेरे होरी छन छना छन
बाजे पायलिया
झूमे नाचे गाये
बरसे पानी झम झमा झम
देखो कैसे खेरी प्रेम रस की होली
कान्हा संग खेलें सब गोपी।
~ १८/०३/२०१६~
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