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Wednesday, 30 September 2015

CLOUDS

Image by Morgan Dragonwillow

Clambering on the
Limpid flight of steps
Obsolete music
Urges to move
Down the memory lane
Sublime remembrance accumulates.

~01/10/2015~
©Copyright Deeप्ती

Day 1 of #OctPoWriMo 2015 Prompt "an Acrostic for the word cloud or clouds."

Sunday, 13 September 2015

माफ़ करना माँ

माँ के आँचल से उठती वो रोटी की महक
तब बिलकुल ना भाती थी
ना जाने क्यों आज उसी महक को
तरसता है मन

पूरे परिवार का ख्याल रखने के बाद
रात को जब उसकी गोद मिलती थी
तब सुकून मिलता था
आज थकान क्या होती है पता चलता है

जो कभी अपने लिए जी ही नहीं
हमे अपने हिस्सा का भी भोजन
खिलाने वाली तब भी भूखी सोती
आज हमारे तिरस्कार से भूखी सोती है

हमारे लिए साफ़ बिछोना बिछा
खुद जमीन पर सोती
आज हमारे मखमल के बिछोने
उसके लिए अछूते है

दर्द से तड़पती बूढ़ी हड्डियाँ
चटकाती बच्चों से मिलने
इधर से उधर भागती
और बच्चे कतराते दूर चले जाते हैं 

हाय री किस्मत !
उस अकेली ने अपने सारे बच्चों 
का जीवन सजाया संवारा 
उसका जीवन बच्चों ने ही गुम कर दिया !

जब कहीं तू  दूर चली जायेगी ना 
तब तेरी बहुत याद सताएगी 
तेरी  मीठी वानी को तरसेंगे 
फिर भी आज तुझे ना अपनाएंगे  

तब तो दुनिया को दिखाने को 
सौ सौ आंसू भी टपकायेंगे 
फूट-फूट रो सैलाब ले आएंगे 
पंडितों के घर भर देंगे 

नाते रिश्तेदारों को समझायेंगे 
तेरी क्या कीमत थी हमारे जीवन में 

लेकिन माफ़ करना माँ 
आज तुझको ना अपना पायेंगे !



©Copyright Deeप्ती

मैं आ गया

माँ! बाबा! देखो मैं आ गया

आँखे खोलो और ह्रदय में बसा लो
तुम्हारी आँखों का तारा
राज दुलारा जन्मों से बिछड़ा
तुम्हारा अपना आ गया

सपना जो सजाया था तुमने
अपनी छोटी सी दुनिया का
उसका एक नन्हा छूटा हुआ कोना
जोड़ने आ गया

शब्दों का ताना बाना
उखेरा था जो पन्नो में
उन भिखरे शब्दों को जोड़
तराना बनाने आ गया

साँझ के बढ़ते अँधियारे
में दीप की रौशनी से
बोझिल होती आँखों
में नयी रौशनी जलाने आ गया

माँ! बाबा! देखो ना में आ गया!


©Copyright Deeप्ती

Monday, 7 September 2015

Beyond life … I Live!

Campos De Jardaon, Brazil

Above the horizon
Beneath the stars
Across the ocean
Under the earth
Inside my soul

By the river
In the books
Of the looks
Over the fence
Inside my heart

Upon the desk
Between the words
Beside the lamp
Before the frame
Inside my pen

With my soul
Against all odds
Through dusk
Until the dawn

Beyond life … I Live!!


~07/09/2015~
©Copyright Deeप्ती