मोती
सी मासूम बूँदे
ठंडी
शीतल नाज़ुक बूँदे
टप-टप
बरसी छम-छम
केशों
पर आ अटकी बूँदे
ललाट से अधरों पर
नन्ही
कोपल पर मचलती
इठलाती
और फिसलती
ये
शर्मीली बूँदे
धरती में समाती
हरियाली फैलाती
तेरे
प्यार सी चमकती
खुशबू
उड़ाती
ये
नन्ही चंचल बूंदे
"बंद
हो जाएँ जो सीप में
तो बन
जाती हैं मोती ये बूंदे "
~०३/०९/२०१४~
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