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Wednesday, 3 September 2014

बूँदे


                                                 

मोती सी मासूम बूँदे
ठंडी शीतल नाज़ुक बूँदे
टप-टप बरसी छम-छम

केशों पर आ अटकी बूँदे
ललाट से अधरों पर
आ थमी, मुस्काती बूँदे

नन्ही कोपल पर मचलती
इठलाती और फिसलती
ये शर्मीली बूँदे

धरती में समाती
हरियाली फैलाती
जीवन से भरी बूँदे

तेरे प्यार सी चमकती 
खुशबू उड़ाती 
ये नन्ही चंचल बूंदे 

"बंद हो जाएँ जो सीप में 
तो बन जाती हैं मोती ये बूंदे "


~०३/०९/२०१४~

 Deeप्ती 

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