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Tuesday, 10 May 2011

उम्मीद


ज्यों ही तुमने आने का मन बनाया
मेरा मन मयूर थिरकने लगा

मेरे आकाश के टुकड़े पर
बादल ने अपना राज़ जमाया

अरमानों के पंख लगा
बांवरा मन उड़ने लगा

सूखे बंजर ह्रदय मन में
उम्मीदों का फिर फूल खिला

क्या पता इस बार
बरस ही जाए जी भर कर .....!

07/05/2011


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